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BEST Inspirational STOries in hindi jarur Dekhe | जैसे को तैसा , तीन मछलियां

जैसे को तैसा

नगर में एक धनी व्यापारी रहता था। एक बार उसे व्यापार में काफी घाटा हुआ और कर्जा भी सिर चड़ गया। उसने तय किया कि वह दूसरे नगर में जा कर अपनी किस्मत आजमएगा। उसने उधार चुकाने के लिए अपना सब कुछ भेज दिया, बस लोहे का भारी तराजू बच गया। वह उसके पुरखों की निशानी थी, इसलिए वह उसे अपने से अलग नहीं करना चाहता था।

नगर छोड़ने से पहले वह पड़ोस के मित्र से मिलने गया। उसने उससे कहा कि वह उसके लौटने तक तराजू रख ले। मित्र ने उसे शुभकामनाएं दी वह तराजू भी संभाल लिया। व्यापारी नगर छोड़कर चला गया।

कई साल बीत गए। व्यापारी ने दूर-दराज के देशों से बहुत धन कमाया। जब वह एक धनी व्यक्ति बन गया तो अपने नगर लौट आया।

कुछ दिन बाद, वह पुराने दोस्त से मिलने गया। दोस्त ने प्रसन्नता से उसका स्वागत किया। व्यापारी जाने लगा तो उसने दोस्त को तराजू की याद दिलाई लेकिन मित्र तराजू नहीं लौटना चाहता था। उसने सोचा कि तराजू को बाजार में बेच कर अच्छे पैसे मिलेंगे इसलिए उसने कहा - "प्यारे दोस्त! मुझे अफसोस है, समझ नहीं आता कि कैसे बताऊं, तराजू भंडार में रखा था। उसे चूहे कुतर कर खा गए।"

व्यापारी तो दोस्त की बात सुनकर हैरान रह गया। उसने कोई भी प्रतिक्रिया न देते हुए कहा - "कोई बात नहीं, इसमें तुम्हारा क्या दोष, उस बात को भूल जाओ।"

जाने से पहले उसने दोस्त से कहा - "तुम्हारे लिए उपहार लिया था पर लाना भूल गया। अपने बेटे को साथ भेज दो, उसके हाथ भिजवा दूंगा।" दोस्त अपने बेटे को साथ भेजने के लिए मान गया।

व्यापारी उसके बेटे को अपने घर ले गया और एक कमरे में बंद करके ताला लगा दिया। जब बेटा रात तक घर नहीं पहुंचा तो मित्र को चिंता हुई। वह व्यापारी के घर पूछने आ पहुंचा। व्यापारी ने उसे कहा - "हम लौट रहे थे तो बहुत बुरी घटना घटी। इससे पहले कि मैं कुछ कर सकता। एक बड़ी चील तुम्हारे बेटे को उड़ा ले गई।"

दोस्त चिल्लाया - "पंद्रह साल के लड़के को चील कैसे उठा सकती है - तुम झूठ बोल रहे हो।"

दोनों में झगड़ा होने लगा वह मामला अदालत तक जा पहुंचा। वे जज के पास पहुंचे तो दोस्त चिल्लाया। "मेरा न्याय कीजिए। इसने मेरा बेटा चुरा लिया है।"

जज ने सारी कहानी सुनने के बाद व्यापार से कहा "इसका बेटा लौटा दो।" "हुजूर, उसे तो चील ले गई।" व्यापारी ने कहा।

उन्होंने गुस्से से कहा - "भला कोई पक्षी बच्चे को कैसे उड़ा ले जा सकता है?"

व्यापारी बोला - "हुजूर! माफ करें, अगर चूहे तराजू कुतर सकते हैं तो चील बच्चे को क्यों नहीं ले जा सकती?" ऐसा कह कर व्यापारी ने सारी घटना सुना दी। अदालत में सभी जोर-जोर से हंसने लगे।

व्यापारी के दोस्त ने अपनी गलती मान ली, और झूठ के लिए माफी मांगी। उसने तराजू लौटा दिया और व्यापारी ने उसका बेटा लौटा दिया।

शिक्षा:- हमें अपने मित्रों को कभी भी धोखा देने की कोशिश नहीं करना चाहिए।

तीन मछलियां

बहुत बड़ी झील में तीन मछलियां रहती थी। वे तीनों पक्की दोस्त थी, लेकिन एक-दूसरे से बहुत अलग थी। उनमें से एक बहुत सयानी थी। वह हमेशा सोच-विचार करके ही कोई फैसला लेती।

दूसरी मछली सयानी नहीं थी लेकिन मुश्किल पड़ने पर कोई न कोई हल निकाल ही लेती। वह बड़ी बेपरवाह जिंदगी जीती थी। तीसरी मछली किस्मत में विश्वास रखती थी। वह हमेशा कहती कि जो होना है, वह तो होगा ही। कोई कुछ नहीं कर सकता।

एक दिन सयानी मछली पानी में खेल रही थी कि उसने दो मछुआरों को आपस में बात करते सुना।

" यह मछली देखो, कितनी बड़ी है। यह झील तो बड़ी मछलियों से भरी पड़ी है। कल हम इन्हें पकड़ने आएंगे।"
 वह जल्दी-जल्दी अपनी सहेलियों के पास गई और यह खबर दी। उसने सुझाव दिया- "हमें इन मछुआरे के आने से पहले ही यह जगह छोड़ देनी चाहिए। पास ही एक नहर है, उसके रास्ते हम दूसरी झील में जा सकते हैं।"

दूसरी बुद्धिमान मछली बोली- " यहां से जाने की क्या जरूरत है। जब मछुआरे आएंगे तो मैं किसी न किसी तरीके से खुद को बचा लूंगी।" किस्मत में विश्वास रखने वाली मछली बोली- " मैं तो जन्म से इसी जगह हूं। मैं इस जगह को नहीं छोडूंगी। जो होता है, होने दो।"

बुद्धिमान मछली कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती थी, इसलिए वह झील छोड़ कर चली गई।

अगली सुबह मछुआरे आए और जाल लगा दिया। वे दोनों मछलियां भी दूसरी मछलियों के साथ पकड़ी गई।
 समस्या का हल निकालने वाली मछली ने बचने का तरीका सोच लिया। उसने यू दिखावा किया मानो वह मर गई हो। मछुआरे ने उसे मरा समझकर पानी में फेंक दिया।

लेकिन भाग्य पर भरोसा करने वाली मछली जाल में ही उछलती रह गई। वह बच नहीं सकी।

 मछुआरे ने सारी मछलियां टोकरी में डाल ली। वे सब मर गई।

शिक्षा:- भगवान भी उनकी ही मदद करते हैं, जो अपनी मदद स्वयं करते हैं।






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